अर्धांगिनी किसे कहते हैं

अर्धांगिनी किसे कहते हैं

अर्धांगिनी किसे कहते हैं

जब मैं सिर्फ 12 साल का था तो दूरदर्शन पे एक टीवी सीरियल में देखा कि जब श्री राम से उनके विवाह के पूर्व पूछा गया कि उनके जीवन में स्त्री का क्या स्थान है ? उन्होंने बड़े ही प्रेम और सम्मान के साथ कहा,” स्त्री वो है जिनके बगैर पुरुष अधूरा है, स्त्री और पुरुष के मिलन से ही पुरुष सम्पूर्ण होता है इसलिए स्त्री को अर्धांगिनी (अर्ध + अंगिनी = आधे अंग) भी कहा जाता है।
फिर माता सीता से पूछा गया उनके विचार से पती का क्या स्थान है जीवन में ? तो उन्होंने कहा, स्त्री एक बेल और पुरुष एक वृक्ष की भाँति है। जैसे बेल वृक्ष के बगैर ऊपर नहीं उठ सकता वैसे ही स्त्री -पुरुष के बगैर जीवन संपूर्ण नहीं कर सकता।

एक और कहानी में एक बार एक ऋषि माता से एक शिष्या ने पूछा कि पति और पिता में क्या अंतर है ? तो उन्होंने कहा पिता स्त्री का जीवनदाता है पर पति उन्हें पूरा करता है, उन्हें परम सुख (सम्भोग का परम-सुख ) भी पति ही दे सकता है।

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