mein zindagi hun
जिस इन्सान को बनाया सर्वशक्तिमन,
उसी इन्सान को देखा बिलखकर रोते हुये,
सिमटे हुये, दुबके हुये, हाहाकार करते हुये,
खुद के हाथो, खूद को बर्बाद करते हुये-
नदियों के जल में जहर घोलते हुये,
पिने के पानी के लिए रोते हुये;
हवाओं को गंदी करते हुये,
सांसें लेने से डरते हुये;
शांती की बातें करते हुये,
पर युद्ध की तैयारी करते हुये.
प्यार, मोहब्बत, सच्चाई को खोते हुये,
स्वर्ग की कामना में प्रकृति को छोटी समझते हुये,
नर्क के डर से ज़िन्दगी से दूर होते हुये,
अमृत की चाह में जल को अनमोल ना समझते हुये,
भविष्य के डर से वर्त्तमान को खोते हुये,
मैं जिंदगी हूं और मैं कुछ थक सा गया हूं ।