मोक्ष कैसे प्राप्त होती हैं

सदिओं पुराना एक सवाल – मोक्ष कैसे प्राप्त होती हैं ?

प्राचीन काल में ऋषि मुनि पूजा पाठ किया करते थे, उसकी अपनी मायिने होती है, चूँकि सनातन धर्म में अनेको ऐसे चीजें सिखाई गयी है जो कि बहुत ही वैज्ञानिक तौर से प्रमाणित किये जा सकते हैं।

कहने का तात्पर्य यह है कि, पूजा पाठ करने से घर की और व्यक्ति की औरा (एनर्जी) में शुद्धता आती हैं। निसंदेह ज्ञान की भी प्राप्ति होती है।

वक्त के साथ-साथ लोगो में उस अदृश्य शक्ति को जानने की भी जिज्ञासा बढ़ती गयी, लोग घर-बार त्याग कर पहाड़ो में जाने लगे, वहाँ तपस्या करते और शक्ति [ज्ञान रूपी] पाने की कोशिस करते।

वक्त आगे बढ़ता रहा, युग बदलता गया, सतयुग से कलयुग तक के सफर में एक धर्म से अनेको धर्मो का उदय हुआ। सबकी अपनी खूबसूरती थी। पर दुःख की बात यह है कि, इस युग में सबकुछ व्यापर बनकर रह गया। जब बाजार लगने लगा तो सबकी कीमत तय होने लगी।

धर्म भी व्यापर बन गया। आज लोग अपने धर्म को बढ़ाने के लिए, प्रचार प्रसार करते फिरते है। जब धर्म बिकाऊ बनी इसकी खूबसूरती खुद ब खुद ख़त्म होती गयी। आज कोई नहीं जनता वह अदृश्य शक्ति है क्या ? क्यूंकि कुछ व्यापारी मोक्ष के नाम पे दुनिआ को गुमराह करने में लगे हैं।

किसी ने धर्म कहा, किसी ने स्पिरिचुअलिटी कहा। सीख तो सभी रहे है, जो गुरु,मौलाना या फादर बना बैठा है, वह भी कोशिस कर रहा है उस अदृश्य शक्ति को जानने की, पर वह दुसरो को सिखा भी रहा होता है, की मोक्ष कैसे पाये ?

              जरा सोचिये, जो खुद कोशिस कर रहा है, वह कैसे दूसरे को सचाई सीखा सकता ?

ऐतराज कोशिस करने से नहीं, पर गलत व्यक्ति से सिखाई गलत तरीको से है।

-> मुझे दुःख होता है, जब मैं बौद्ध धर्म में, बच्चो से उनका बचपन छीनकर उन्हें तपस्या करने भेज दिया जाता है।  बाल्य काल में बच्चे खेलते है, कूदते है, ज़िन्दगी की उनके तरीके से मजे लेते है, उनसे उनका बचपन छीन लिया जाता है, मोक्ष की चाहत में। 

-> मुझे दुःख होता है, जब मैं देखता हूँ ब्रह्म कुमारी के नाम से कन्याये अपने आप को प्रभु के नाम पे समर्पित करने हेतु जीवन भर अविवाहित रहते हैं और उस अदृश्य शक्ति को जानने की कोशिस करते हैं।

-> मुझे दुःख होता है, जब मैं देखता हूँ येषु के लिए जीवन समर्पित करने के लिए पुरुष, फादर और औरते, नन बनकर जीवन भर अविवाहित रहते हुए जीवन गुजार देते है।

-> मुझे दुःख होता है, जब मैं देखता हूँ स्त्री और पुरुष योगी की वेश-भूषा पहनकर जीवन भर अविवाहित रहने का प्रण लेते है और ब्रह्मचारी का जीवन यापन करते है।

-> मुझे दुःख होता है, जब मैं देखता हूँ लोग वृन्दावन में और अलग-अलग धर्म स्थलों में अपना जीवन ईश्वर की भक्ति और भजन-पूजन में गुजार देते है।

चलिए समझते है, सभी लोग आत्मा और परमात्मा को मानते है। [अलग-अलग भषाओ और धर्मो में अलग-अलग तरीके से, अलग-अलग नामो से पुकारते होंगे ] तो मुझे यकीन है, मैंने सभी धर्मो को सम्बोधित किया हैं।

मोक्ष कैसे प्राप्त होती हैं

जब आप मानते हो कि हम सभी आत्माये है और उस परमात्मा का ही अंस है। मतलब हमारी आत्मा हमारे शरीर धारण करने से पहले परमात्मा के ही तो पास था और इस शरीर की मृत्यु के पश्चात उस में पुनः विलीन हो जायेगा।
अब असमंजस यह है, कि जब हम परमात्मा के पास थें, तब क्या उन्होंने आपसे यह कहा होगा कि तुम पृथ्वी लोक में जाओ और वहाँ से वापस मेरे पास आने के लिए, विवाह मत करो, सेक्स मत करो, बच्चे न हो, मेरा ही नमस्कार करो, मेरा ही भजन-पूजन करो, तो तुम मेरे पास वापस आ पाओगे ? गर ऐसी बात होती तो शायद कोई पृथ्वी लोक पे आता ही नहीं, कि बेहतर है में यही परमात्मा के पास ही रह जाऊँ।

या फिर परमात्मा ने कुछ ऐसा कहा होगा कि, अभी तो तुम मेरे पास ही हो, मृत्यु के बाद पुनः मेरे पास आना होगा, तो गर पृथ्वी लोक पे जाना चाहते हो तो जाओ और अपने शरीर के अनुसार अपने जीवन का अनुभव करो। मेरा मतलब है, अगर आपकी आत्मा किसी शाकाहारी प्राणी का जीवन यापन करना चाहेगा तो घास खाने वाले पशु का जन्म पा सकते है। अगर मांस खाना चाहते तो मांसाहारी प्राणी का जीवन पा सकते, खून पीना चाहते तो मच्छर का, वैसे ही मनुष्य का जीवन पाए तो उसका अनुभव कीजिये।

सेक्स आपका एक शारीरिक धर्म है। सम्भोग से आपको परम-सुख की अनुभूति होती, यह उस परवर्तीगार की मर्जी है, और आप चले अपने शरीर के नियमो को तोड़ने, कोई बाल-ब्रह्मचारी बनता है तो कोई ब्रह्म-कुमारी, कोई फादर तो कोई नन।

आपको अपने सेक्सुअल एनर्जी को क्यों रोकना है ? यह तो स्वयं ही रुक जाएगी, स्त्री में 50 वर्ष और पुरुष में 55 की आयु में। उसके बाद आप चाहकर भी वापस न पा सकोगे न वो दिन, न ये जीवन जो आपने गुमराहे के अंधेरो में खो दिया। यकीन मानिये आपके पैदा होने से पहले आपके जीवन की हर चीज़ तय थी, पिता के वीर्य में और माता के अंडो में सब-कुछ कोडेड था, कि कितने दिन पेट में रहना है, कब आप पहली बार बोलोगे, कब दाँत निकलेगी, कब सेक्स शरीर में बननी शुरू होगी, कब रुकेगी, कब यह शरीर बूढ़ा होगा और कैसे मृत्यु होगी। सबकुछ।

मॉर्डन स्टाइल में कहे तो आपकी प्रोग्रामिंग वैसे हुई है, और जैसे प्रोग्रामिंग होगी, चीज़े वैसे ही चलेगी। आपको परमात्मा ने यह जन्म दिया, तो उसे अपनाईये, पूर्णता से अपनाईये। आपको यह जीवन एक ही बार मिली है, इसे खोइए मत।

    अब बात करते है उन लोगो की जो अपना जीवन ईश्वर भक्ति, पूजन-पाठन में बिता देते है। 

यह बात ऐसे समझते है, जब रण-भूमि में अर्जुन के हाथ से धनुष-बाण गिर रहे थें, कि मैं युद्ध नहीं करूँगा अपने परिजनों के खिलाफ, तब श्री कृष्ण ने उन्हें समझाया कि भावनाओ के अधीन न हो और अपना कर्म कर।

सोचकर देखिये, जिनकी भजन-पूजन में आप अपना जीवन बिता देना चाहते है ताकि आपको प्रभु मिले, वही प्रभु साक्षात् अर्जुन के सामने थें, क्यों उन्होंने अर्जुन से ये नहीं कहा कि हे अर्जुन तुम्हे कुछ करने की जरुरत नहीं है, तुम बस मेरे सामने बैठकर मेरा भजन-कीर्तन करो और मैं तुम्हारे शत्रुओ को मार दूंगा ?

   क्यों,कृष्ण ने ऐसा नहीं कहा ?  क्यों उन्होंने अर्जुन से कहा कि भावनावो के अधीन न हो और अपना कर्म कर ?

अब सोचिये आपके प्रभु गर साक्षात् आपके समक्ष होते तो क्या कहते ? क्या वो कहते; जो आपके गुरु, फादर या मौलाना ने कहा कि प्रभु , यीशु या अल्लाह को पाने के लिए उनका जीवन-भर भजन-पूजन, कीर्तन वगेरा में जीवन बिताना होगा ?

 मैं कोई गुरु नहीं हूँ , मैं बस एक अदना सा इंसान हूँ, जिसे आप आज जानते भी नहीं है, पर जो सीख पाया उस परवर्तीगार की मर्जी से , उसे आपके साथ शेयर किया है। मैंने अपना सोच आप्पे थोपने की भी कोशिस नहीं की, बल्कि मैंने मेरा पक्ष रखा है, और चाहता हूँ की आप इस विषय में चिंतन करे और यह निर्णय स्वयं ले की आपकी ज़िन्दगी को आप कैसे अनुभव करना चाहते है, क्यूंकि यह जिंदगी अनमोल है, हम सबको यह एक ही बार मिली है जो की आप चाहकर भी दोबारा पा न सकोगे। सोचिये, अनुभव कैसे होना चाहिए ?
        मोक्ष कैसे पाये, यह विषय मैं किसी और  दिन किसी और घडी में आगे बढ़ाऊंगा, तब तक के लिए मुझे उम्मीद है, मैंने आपको कुछ सोचने पे मजबूर जरूर कर दिया होगा। आप सोचिये, जल्द मुलाकात होगी इसकी अगले खडों के साथ। 

यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो कृपया योगदान देने पर विचार करें 🙂

Donate at Evolutions. in

10 thoughts on “मोक्ष कैसे प्राप्त होती हैं”

  1. Spot on with this write-up, I seriously believe this amazing site needs a lot more attention. I’ll
    probably be back again to see more, thanks for the information!

  2. Thank you for sharing your info. I really appreciate your efforts and I
    am waiting for your next write ups thank you once again.

  3. I’ve been surfing online greater than three hours these days, yet I
    by no means discovered any fascinating article like yours.

    It’s beautiful worth enough for me. Personally, if all webmasters and bloggers made just right content
    as you probably did, the internet shall be a lot more useful than ever before.

  4. My brother recommended I might like this blog.
    He was entirely right. This post actually made my day. You
    can not consider just how much time I had spent for this info!

    Thank you!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *