मैं जिंदगी हूं और मैं कुछ थक सा गया हूं

mein zindagi hun

मैं जिंदगी हूं और मैं कुछ थक सा गया हूं; जिस इन्सान को बनाया सर्वशक्तिमन, उसी इन्सान को देखा बिलखकर रोते हुये, सिमटे हुये, दुबके हुये, हाहाकार करते हुये, खुद के हाथो, खूद को बर्बाद करते हुये- नदियों के जल में जहर घोलते हुये, पिने के पानी के लिए रोते हुये; हवाओं को गंदी करते … Read more